योग भारतीय संस्कृति की प्राचीनतम पहचान: निलेश

जागरणसंवाददाता,नारनौल:पतंजलियोगसमितिकेजिलाप्रभारीनिलेशमुदगलनेकहाकियोगहमारीभारतीयसंस्कृतिकीप्राचीनतमपहचानहै।संसारकीप्रथमपुस्तकऋग्वेदमेंकईस्थानोंपरयोगिकक्रियाओंकेविषयमेंउल्लेखमिलताहै।योगधर्म,आस्थाऔरअंधविश्वाससेपरेएकसीधाविज्ञानऔरजीवनजीनेकीएककलाहै।शहरकेहुडासेक्टरस्थितराधेकृष्णमैरिजपैलेसमेंआयोजितसह-योगशिक्षकप्रशिक्षणशिविरमेंजिलाप्रभारीनेयहविचाररखे।पतंजलियोगसमितिवभारतस्वाभिमान,जिलामहेंद्रगढ़द्वाराआयोजितइस15दिवसीयप्रशिक्षणशिविरकालक्ष्ययुवाओंकोयोगकीदिशामेंप्रोत्साहितकरनाहै।

इससेपूर्वदूसरेदिनकेप्रशिक्षणकाशुभारंभवरिष्ठभाजपानेतादयारामयादव,योगशिक्षिकाकृष्णाएवंसूबेदारसुभाषयादवनेदीपप्रज्वलितकरकिया।दयारामयादव,अश्विनीयादव,संजयअग्रवालवमहेशघाटासेरनेकहाकिजबतकहमस्वयंसेनहींजुड़ते,योगमेंसफलताकठिनहोगीअर्थातजीवनमेंसफलताकापरचमलहरानेकेलियेतन,मनऔरआत्माकास्वस्थहोनाअतिआवश्यकहै।इसदौरानसाधकोंनेमोटापेमेंलाभकारीप्राणायाम,आसन,मुद्राएं,डाइटप्लान,व्यायामएवंउपयुक्तदिनचर्याकोजाना।समापनसेपहलेसाधकोंकोसंबोधितकरतेहुएयुवाभारतजिलाप्रभारीबिरेन्द्रआर्य,संगठनमंत्रीसुनीलडुलानाएवंप्रांतीयसंवादप्रभारीपवनदेवासनेकहाकिइससंसारकीसभीचिकित्सापद्धतियोंकीशुरुआतमानवशरीरकेरोगीहोनेपरहोतीहै।वहींयोगऔरआयुर्वेदहीएकमात्रऐसीचिकित्सापद्धतिहैजोमनुष्यकेस्वास्थ्यकीसम्पूर्णगारंटीदेतीहै।शिविरकेद्वितीयदिवसडॉ.योगेशदत्तशेखावत,डॉ.गजराज,मनोहरलाल,पुरुषोत्तमआदिमौजूदथे।